[TODAY छत्तीसगढ़ ] / सड़क पर बेलगाम रफ्तार और लापरवाही पूर्वक वाहन चलाने की वजह से दो लोगों कि आज जान चली वही एक व्यक्ति जिंदगी पाने के लिए मौत से लड़ रहा है। हादसा रतनपुर-कटघोरा मार्ग पर बेतलरा के पास हुआ।
बताया जा रहा है की आज शाम बेलतरा की तरफ से आ रही एक तेज रफ्तार ट्रक ने सामने से आ रही बाइक को जोरदार ठोकर मार दी, मोटरसाइकिल में तीन युवक सवार थे जो ट्रक की ठोकर लगते ही सड़क पर आ गए। इस सड़क हादसे में मोटरसाइकिल सवार दो युवक मौके पर ही काल के गाल में समा गए वहीं तीसरा युवक गंभीर रूप से घायल है। घायल युवक को ग्रामीणों की मदद से तत्काल रतनपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद उसे सिम्स रेफर किया गया। घायल युवक की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। पुलिस सूत्रों से हासिल जानकारी के मुताबिक मृतकों का नाम लक्ष्मी साहू और दुर्गा प्रसाद धीवर है ये ग्राम भाड़ी के रहने वाले थे, वहीँ हादसे में घायल तीसरे युवक का नाम सुदर्शन सिंह राज बताया जा रहा है।
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / खेल विभाग की ओर से वर्ष 2017-18 का राज्य खेल अलंकरण सम्मान आज एक गरिमामय समारोह के जरिये सम्प्पन हुआ। मेडिकल कॉलेज अटल बिहारी वाजपेयी सभागार रायपुर में आयोजित खेल अलंकरण सम्मान समारोह में प्रदेशभर के चयनित खिलाड़ियों को 95 लाख रुपए की पुरस्कार राशि बांटी गई । इस ख़ास मौके पर सूबे के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह, खेल मंत्री भैया लाल राजवाड़े समेत कई मंत्री और सियासतदार मौजूद रहे। खेल अलंकरण समारोह में मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि ये देश का अनूठा और अकेला आयोजन है जिसमें उन खिलाड़ियों को जो आर्थिक संसाधन से पिछड़ जाते थे उन्हें आर्थिक मदद के साथ साथ राज्य सरकार ने शासकीय नौकरी पर भी 2% का अनुदान रखा है। नए छत्तीसगढ़ के निर्माण में भविष्य में होने वाले नेशनल गेम्स की भूमिका तैयार कर ब्लाक लेवल तक कैसे इसको ला सकते है उसके लिए कार्य योजना तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे प्रदेश के खिलाड़ी कामनवेल्थ और ओलंपिक में पहुंच जाते है तो सरकार 2 करोड़ रुपये की राशि उस खिलाड़ी को देगी। आज इस बात की खुशी है कि खिलाड़ियों के साथ-साथ जिन्हें आज हम सम्मानित कर रहे है वो लोग अलग-अलग क्षेत्र में अपना नाम ऊंचा कर रहें हैं।
इस दौरान खेल मंत्री भैयालाल राजवाड़े ने कहा- जिन्होंने पदक जीता उन्हें मैं बधाई देता हूं और जिन्हें पदक नहीं मिला है वो फिर मेहनत के साथ तैयारी करें, भविष्य में उनकी मेहनत सफल होगी। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण कर राज्य के खिलाड़ियों को प्रतिभा दिखाने का सुनहरा मौक़ा दिया है। वर्ष 2004 से पहले खेल प्रतिभाओं को ऐसा पुरस्कार नहीं मिलता था।
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इस मौके पर नेशनल में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को 38 लाख रुपए और खेल अलंकरण के लिए चुने गए खिलाड़ियों को 47 लाख रुपए की पुरस्कार राशि देकर सम्मानित सम्मानित किया। पुरस्कार वितरण समारोह में शहीद राजीव पांडेय पुरस्कार, शहीद कौशल यादव पुरस्कार, वीर हनुमान सिंह पुरस्कार, शहीद पंकज विक्रम सम्मान, शहीद विनोद चौबे सम्मान और मुख्यमंत्री ट्रॉफी पुरस्कार दिए गए। कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष गौरीशंकर अग्रवाल, मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, मंत्री राजेश मूणत, विधायक सत्यनारायण शर्मा भी मंच पर मौजूद रहे।
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ये घटना कोरबा जिले के कटघोरा थाना क्षेत्र की है। ढेलवाटिकरा में एक सितंबर को साप्ताहिक बाजार लगा था, लेकिन इस साप्ताहिक बाज़ार से दूर एक प्रेमी जोड़ा सुकून के दो पल ढूंढ़ते गांव किनारे जंगल में घूम रहा था। इसी दौरान प्रेमी के दो दोस्त ईश्वर दास और खेम कुंवर वहां आ धमके। दोनों ने पहले युवती से छेड़छाड़ की, दोस्तों की बेजा हरकत का जब प्रेमी ने विरोध किया तो दोनों युवकों ने अपने ही दोस्त पर जानलेवा हमला कर दिया। दोस्तों के अचानक हमले से डरकर प्रेमी और प्रेमिका दोनों अलग-अलग दिशा में जान बचाकर भागे, लेकिन मौके पर पहुंचे आशिक के दोनों दोस्तों की नियत पहले ही खराब हो चुकी थी, उन्होंने दौड़ाकर युवती का पीछा किया और फिर बारी-बारी से उसका बलात्कार किया। इस घटना से आहत प्रेमी अपने घर लौटा और आत्मग्लानि से उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली । आशिक की मौत के बाद आत्महत्या के कारण और बलात्कार की घटना का राज माशुका के सीने में लगभग दफन सा हो चुका था क्यूंकि उसने घटना के संबंध में किसी को कोई बात नहीं बताई, लेकिन आशिक की मौत के कुछ दिन बाद माशूका को भी आत्मग्लानि हुई और वो सीधे कटघोरा थाना पहुंची, उसने पुलिस को पूरा घटनाक्रम सिलसिलेवार बताया। लड़की के बयान को आधार मानकर पुलिस ने दोनो आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने के बाद गिरफ़्तार कर लिया है।
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / प्रदेश के नौकरशाहों के रुतबे और अहंकार जगजाहिर हैं। ऐसे नौकरशाहों की कमी नहीं है, जिनकी नजर में मंत्री, सांसद और विधायकों की कोई हैसियत नहीं है। कई अफसरों का दावा है कि वे चुटकियों में छोटे-मोटे मंत्रियों और विधायकों की नेतागीरी खत्म कर सकते हैं। यह नजारा भाजपा सरकार में ही देखा जा सकता है कि विभाग का मंत्री काम के लिए अपने सचिव के कक्ष तक जाता है। नान घोटाले में फंसे दो बड़े नौकरशाहों के खिलाफ अभियोजन की कार्रवाई करने की अब तक अनुमति नहीं मिलना ही यह साबित करता है कि राज्य सरकार के निर्वाचित जनप्रतिनिधि किस तरह इन नौकरशाहों के शिकंजे में जकड़े हुए हैं।
कहते हैं कि सत्ता परिवर्तन की हवा का अहसास सबसे पहले नौकरशाहों को ही होता है और अब इसके संकेत मिलने लगे हैं। हालात इतने बदल चुके हैं कि मनचाही जगह पर पोस्टिंग हासिल करने के लिए मंत्रियों के आगे-पीछे घूमने वाले छुटभैये नौकरशाहों के मुंह में भी अब जुबान आ चुकी है जो इस बात की तरफ इशारा करती है कि शासन-प्रशासन में सबकुछ सत्तारूढ़ दल के पक्ष में नहीं चल रहा है। ताजा मामला बीजापुर जिले का है, जहां महिला व बाल विकास विभाग का एक अदने से नौकरशाह ने अपने रॉडार पर स्थानीय मंत्री को ले लिया।
इस नौकरशाह का एक वीडियो सोशल मीडिया में तैर रहा है, जिसमें वह साफ तौर पर कह रहा है कि स्थानीय मंत्री उसका कुछ भी नहीं उखाड़ सकते क्योंकि वे उसके कर्जदार हैं। हर महीने वह एक निश्चित रकम मंत्रीजी को देता है। इतना ही नहीं उसकी बदौलत ही मंत्रीजी के किचन में चूल्हा जलता है। गैस सिलेण्डर से लेकर राशन का पूरा सामान उसकी मेहरबानी से ही घर पहुंचता है। यह नौकरशाह इतना बोलकर ही चुप नहीं हुआ। उसने यह भी कहा कि जिन कार्यकर्ताओं के दम पर मंत्रीजी अपना रुतबा दिखाते हैं, वे एक-एक बोतल दारू में बिकने के लिए लाइन लगाकर खड़े रहते हैं। उनके कार्यकर्ताओं के कण्ठ को वही तर करता है। इस बे-लगाम अफसर ने मीडिया को भी नहीं बख्शा और स्थानीय मीडिया को चवन्नी छाप कहकर उसकी औकात दिखाने की भरपूर कोशिश की।
इस अफसर की बातों को स्थानीय मंत्री और राज्य सरकार किस रूप में लेती है. यह तो नहीं पता परंतु एक छोटे से नौैकरशाह ने सरकार को आइना दिखाया, जिसमें सरकार की घिनौनी सूरत दिखाई पड़ गई। प्रश्न यह है कि किसी भी नौकरशाह की इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि वह मंत्री के किचन, बेडरूम और बाथरूम में क्या होता है, उसे सार्वजनिक रूप से कहने लग जाए। निश्चित ही इसके पीछे मंत्री और उसके कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने क्षणिक फायदे से लिए उस अफसरों को इतनी छूट दे दी कि वह उनके गले की फांस बन गया।
किसी भी छोटे नौकरशाह की इतनी हिम्मत नहीं हो सकती है कि वह मंत्री के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयानबाजी करे। भाजपा सरकार के पहले कार्यकाल में एक आईएएस ने कुछ इसी तरह की हिमाकत की थी, तब उसे ऐसा सबक सिखाया गया कि वह आज तक मुख्य धारा में नहीं लौट पाया। तब नौकरशाहों में सत्ता का खौफ था लेकिन बीते दस सालों में तस्वीर बिलकुल उलटी हो चुकी है। इस समय भाजपा के निर्वाचिन जनप्रतिनिधि नौकरशाहों से खौफ खाते हैं। यही वजह है कि सत्तारूढ़ दल के मंत्रियों और विधायकों के पास इतनी भी ताकत नहीं है कि वे एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को अपने दम पर इधर से उधर कर सकें। बीते पांच सालों में तो प्रदेश को नौकरशाह पूरी तरह निरंकुश हो चुके हैं। वे वही काम करते हैं, जो उन्हें पसंद है या जिसमें उनको किसी भी तरह का फायदा दिखता है। मंत्रियों, विधायकों और सांसदों की चिट्ठियों को देखते ही उनके हाथ डस्टबिन की तरफ चले जाते हैं।
सालांत होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ दल और उनसे कई अनुषांगिक संगठन कई तरह के सर्वेक्षण करा रहे हैं। इनकी रिपोर्टों में अन्य बातों के अलावा एक बात कॉमन रहती है कि प्रदेश के जनमानस की अपने मंत्री और विधायकों से जो नाराजगी है वह तो है ही लेकिन सर्वाधिक नाराजगी ब्लॉक स्तर से लेकर महानदी भवन में बैठने वाले नौकरशाहों से है। चुनाव परिणाम अगर भाजपा के पक्ष में नहीं आता है, तब पराजय की समीक्षा की जाएगी तो यकीन मानिए पराजय का एक बड़ा कारण निरंकुश नौकरशाही जरूर होगा। अब तो वक्त भी नहीं बचा है कि इस पर लगाम लगाया जा सके। इंतजार करना होगा कि भाजपा ने आम का पौधा लगाया है या फिर उसने बबूल बोया है। [–चोखेलाल ]
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय निकाय के आवहान पर प्रदेश के 27 जिलों के लिपिक कर्मचारियों का अनशन जारी है, आज हड़ताल का 7वां दिन हैं। लिपिक कर्मचारियों का अनशन जिला, तहसील, विकासखंड मुख्यालय में जारी है, कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी भी कर रहे है। लिपिको के आंदोलन से निर्वाचन समेत कार्यालयों में रोजमर्रा के कामकाज पूरी तरह प्रभावित हो चुका है। राजस्व न्यायालयों में काम बंद होने से आम जनता एवं शासन को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक़ अनशनरत लिपिक मांगें पूरी नहीं होने की दशा में भूख हड़ताल और आमरण अनशन करने का मन बना चुके हैं। संघ के पदाधिकारी कहते हैं की वेतन विसंगति को दूर कर राजस्थान के तर्ज पर ग्रेड-ंउचयपे में सुधार किया जाये। लिपिक कर्मचारी विगत 37 वर्षों से लंबित वेतन विसंगति दूर करने एवं राजस्थान सरकार की तर्ज पर ग्रेड-ंउचयपे में सुधार की मांग तथा चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर विगत 4 माह से विभिन्न चरणों में आंदोलनरत है। इसके बावजूद सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की पहल नहीं होने से लिपिकों में भारी आक्रोश है। उनके द्वारा प्रदेशस्तर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का शंखनाद 7 सितंबर से किया गया है। लिपिकों ने शासन की संवेदनहीनता पर आक्रोश जताया है।
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / दुर्ग-भिलाई के बाद अब प्रदेश के दूसरे हिसों में भी डेंगू ने पैर पसारना शुरू कर दिया है। इसकी चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वहीं इलाज के दौरान मरीजों की मौत के आंकड़े भी चिंताजनक हैं। जानकारी के मुताबिक मुंगेली निवासी अंजूम बेगम और पथरिया धोथमा निवासी 4 वर्षीय बालक शिवराज जानलेवा डेंगू के चपेट में थे। पीड़ितों का बिलासपुर के अलग- अलग निजी अस्पतालों में ईलाज चल रहा था लेकिन ईलाज के दौरान बुधवार को दोनों की मौत हो गयी । जानकारी के मुताबिक बिलासपुर के निजी व सरकारी अस्पतालों में अब भी 50 से ज्यादा डेंगू के मरीज भर्ती हैं जिनका उपचार जारी है।
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[TODAY छत्तीसगढ़ ] / छत्तीसगढ़ प्रदेश लिपिक वर्गीय शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय निकाय के आवहान पर प्रदेश के 27 जिलों के लिपिक कर्मचारियों का अनशन जारी है, आज हड़ताल का 7वां दिन हैं। लिपिक कर्मचारियों का अनशन जिला, तहसील, विकासखंड मुख्यालय में जारी है, कर्मचारी अपनी मांगों के समर्थन में नारेबाजी भी कर रहे है। लिपिको के आंदोलन से निर्वाचन समेत कार्यालयों में रोजमर्रा के कामकाज पूरी तरह प्रभावित हो चुका है। राजस्व न्यायालयों में काम बंद होने से आम जनता एवं शासन को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक़ अनशनरत लिपिक मांगें पूरी नहीं होने की दशा में भूख हड़ताल और आमरण अनशन करने का मन बना चुके हैं। संघ के पदाधिकारी कहते हैं की वेतन विसंगति को दूर कर राजस्थान के तर्ज पर ग्रेड-ंउचयपे में सुधार किया जाये। लिपिक कर्मचारी विगत 37 वर्षों से लंबित वेतन विसंगति दूर करने एवं राजस्थान सरकार की तर्ज पर ग्रेड-ंउचयपे में सुधार की मांग तथा चार स्तरीय पदोन्नत वेतनमान की मांग को लेकर विगत 4 माह से विभिन्न चरणों में आंदोलनरत है। इसके बावजूद सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की पहल नहीं होने से लिपिकों में भारी आक्रोश है। उनके द्वारा प्रदेशस्तर पर अनिश्चितकालीन हड़ताल का शंखनाद 7 सितंबर से किया गया है। लिपिकों ने शासन की संवेदनहीनता पर आक्रोश जताया है।
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