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सभी तस्वीरें प्राण चड्डा द्वारा ली गई हैं। |
आपको जान कर हैरत होगी कि मात्र 15 सेमी की छोटी सी एक चिड़िया Black Redstart शीत काल व्यतीत करने विदेश से यहां हर साल पहुंचती है। यह कोई अकेली प्रवासी छोटी चिड़िया नहीं और भी कई छोटे पक्षी यहाँ आते हैं। बड़े पक्षियों में बार हेहैड गीज, ग्रे लेग गीज या कई ईगल भी यहां पहुंचते है।
बर्ड का प्रवास मुख्यतः दो कारणों से होता है पहला भोजन और दूसरा अंडे बच्चे के लिये। कोयल परिवार का चातक यहां अपने अंडे दूसरे पक्षी के घोसले में देने के लिए आता है और उसके बच्चे भी जो अंडे सेते हैं वही पालते है। गुलाबी मैंना याने रोजी स्टर्लिंग तो हजारों की संख्या में फूलों का रस चूसने और पीपल के अंजीर खाने पहुंचती हैं। TODAY छत्तीसगढ़ के WhatsApp ग्रुप में जुड़ने के लिए क्लिक करें
चिड़ियों के पीछे पीछे बाज भी इस देश में आते हैं। इनमें इम्पीरियल ईगल बड़ा और मजबूत होता है लेकिन वह इधर (छत्तीसगढ़) नहीं बल्कि राजस्थान में दिखता हैं। इधर आस्प्रे मछली को गोताखोरी कर पकड़ने में माहिर बाज इस सीजन में चांपी डेम में दिखाई दे रहा है। पक्षियों की दुनिया खूबसूरत रहस्यमयी है जिसमें जितना भीतर जाए उतनी शानदार।
शुरूवात पाइंट शूट कैमरे से की जा सकती है और बाद डीएसएलआर,अथवा मिरर लेस तक पहुंच सकते है। लेकिन तब भी आपके पुराने पाइंट शूट कैमरे की उपयोगिता बरकार रहती है। बर्ड वाचिंग औऱ फोटोग्राफी के न्यू,-कमर ,को पहले पुराने और जानकारों का साथ लेना चाहिए। किताबें भी काफी हैं पर बिन गुरु ज्ञान कहा से मिलेगा।
वन विभाग की सक्रियता मैदान में शून्य..!
छतीसगढ़ वन विभाग ने तीन साल पूर्व पक्षियों के प्रति जागरूकता लाने बिलासपुर के कोपरा जलाशय में बर्ड मेला आयोजन कर हर साल ऐसे आयोजन की घोषणा की थी। आयोजन में 20 लाख रुपये व्यय करने की जानकारी थी। लेकिन हासिल आया शून्य। गांव के दीवारों पर जो पक्षी भारत नहीं आते उनकी पेंटिंग बनाई गई वह अब तक मुंह चिढ़ा रही हैं। फिर मेला कब होगा अब भावी सरकार की रूचि और समझ तय करेगी। बिलासपुर के मोहनभाटा में बारिश के साथ तथा कोपरा जलाशय में शीत कालीन प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं,उनकी सुरक्षा के लिये वन विभाग का कोई पल भर के लिए नहीं फटकता ! कुछ सेमिनार हुए जिसके बाद उसका फीड बैक भी किसी से नहीं लिया गया।
( लेखक / प्राण चड्डा, पूर्व संपादक दैनिक भास्कर, वाइल्डलाइफ बोर्ड मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सदस्य भी रहें हैं। )