उल्लेखनीय है कि पूर्व में अमित जोगी के जाति प्रमाणपत्र को भी समिति ने निरस्त कर दिया था और उन्हें मरवाही चुनाव से हटना पड़ा था। उसी दौरान संतकुमार नेताम की शिकायत के आधार पर ऋचा के गोंड आदिवासी जाति प्रमाण पत्र को निलंबित किया गया था। प्रकरण को रायपुर उच्च स्तरीय छानबीन समिति को प्रेषित किया गया। उच्चस्तरीय छानबीन समिति ने इस मामले में विजलेंस सेल की रिपोर्ट, गवाहों के कथन तथा दस्तावेजों के परीक्षण तथा विस्तृत विवेचना के आधार पर सामाजिक परिस्थितिक को उनके गोंड होने के दावे के खिलाफ माना। समिति ने कहा है कि ऋचा जोगी अपनी जाति साबित नही कर पाईं। उन्हें प्रर्याप्त अवसर भी दिए गए। इसके साथ ही ऋचा के पिता प्रवीण राज साधु शासकीय सेवा में कार्यरत थे, जिसमें उनके सेवा अभिलेख में क्रिश्चियन लिखा हुआ है। साथ ही प्रवीण के सर्विस रिकार्ड में उनके सामान्य वर्ग के शासकीय सेवक होने की बात का उल्लेख है। इस आधार पर ऋचा जोगी के जाति प्रमाण पत्र को छानबीन समिति ने निरस्त करने का आदेश जारी किया है।
इस मामले की जांच के लिए बनी विजिलेंस सेल ने ऋचा जोगी के पुरखों के गांव मोतिमपुर, पेण्ड्रीडीह और विश्रामपुर के ग्रामीणों का बयान लिया है। मोतिमपुर के रामलोचन यादव, तोरन महिलांगे, किशुन यादव ने बताया है, इस गांव में साधू परिवार के खेती की जमीन है। उनका परिवार इसाई है। गांव में यादव, कुर्मी, सतनामी, पनिका, केवट और इसाई जाति के लोग हैं। पेण्ड्रीडीह गांव के एकमात्र आदिवासी परिवार के गंगाराम मरकाम ने कहा है, वर्णवास साधू का परिवार इसाई था। वह लोग गोंड नहीं हैं। उनके साथ गोंड परिवार का खानपान का कोई संबंध नहीं है। वहीं उनके पुरखों के अंतिम ज्ञात गांव विश्रामपुर के यीशुदयाल ने बताया, वे ऋचा जोगी के एक पूर्वज विमल इसाई को जानते हैं। उनका बेटा उनकी जमीन पर रेगा में खेती करता है। वे लोग इसाई थे। वे लोग भी इसाई हैं, लेकिन उनके पूर्वज सतनामी थे।
समिति ने ऋचा के मूल गांव के निवासियों के में ज्यादातर ने माना कि ऋचा के पूर्वजों की पहचान ईसाई धर्म मानने वाले के तौर पर ही रही है। गोंड आदिवासियों के साथ उनके संबंध नहीं रहे। साथ ही संपत्ति की खरीद-बिक्री के दस्तावेजों में क्रिश्चियन होने का उल्लेख किया गया है। खासतौर पर ऋचा के पिता के शासकीय सेवा अभिलेख में क्रिश्चियन होने का उल्लेख महत्वपूर्ण माना गया है। सतर्कता प्रकोष्ठ को मामला सौंपा समिति ने गलत प्रमाण पत्र पाए जाने के बाद मुंगेली कलेक्टर को भविष्य में कार्यवाही के लिखा है। साथ ही आदेश में कहा है कि गलत प्रमाण पत्र पाए जाने के बाद उप पुलिस अधीक्षक, सतर्कता प्रकोष्ठ, उच्च स्तरीय छानबीन समिति कानूनी कार्यवाही करे। समिति ने इसकी अनुशंसा की है।