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हनीट्रैप वीडियो में सामने आए आरोप-तथ्य की कड़ी जांच हो

मध्यप्रदेश के हनीट्रैप मामले का एक नया वीडियो सामने आया है जिसमें पिछली भाजपा सरकार के एक विवादग्रस्त मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को एक महिला के साथ बताया गया है। इस वीडियो के साथ जो बातचीत मध्यप्रदेश के अखबारों में छपी है वह इस मंत्री के अपने मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह, और उनके परिवार पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों से भरी हुई भी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आज मध्यप्रदेश की कांगे्रस सरकार ऐसे आरोपों की जांच करवाने का काम करे, या इसे छोड़ दे?
हमने पहले देश और कई प्रदेशों की सरकारों को लेकर लगातार यही बात लिखी है कि संविधान की शपथ लेकर जो मंत्री-मुख्यमंत्री सत्ता पर आते हैं, यह उनकी पसंद का मामला नहीं हो सकता कि वे ऐसे आरोपों की जांच करवाएं, या न करवाएं। यह तो पद की संवैधानिक बाध्यता रहती है कि भ्रष्टाचार या किसी गलत काम की जो जानकारी उनके सामने आए, चाहे वह किसी शिकायत की शक्ल में रहे, या फिर वह मीडिया के मार्फत सार्वजनिक रूप से सामने आए, उसकी जांच करवानी ही चाहिए। यह आरोप डराने वाला नहीं होना चाहिए कि विपक्षियों और विरोधियों की जांच के पीछे राजनीतिक दुर्भावना रहती है। जब कोई जुर्म होते हैं, उस जुर्म के कोई सुबूत या गवाह होते हैं, तो उनकी कही हुई बातों के आधार पर जांच जरूर ही होनी चाहिए। अगर सत्ता पर आए लोग विरोधियों से रियायत करते हुए जांच से परहेज करें, तो यह राजनीतिक लेन-देन का एक बड़ा भ्रष्टाचार बन जाएगा।
आज मीडिया, सोशल मीडिया, और तरह-तरह के स्टिंग ऑपरेशनों के चलते हुए बहुत से ऐसे मामले सामने आते हैं जिनके पुख्ता सुबूत ऑडियो-वीडियो शक्ल में मौजूद रहते हैं। इनकी मदद से जांच करके आगे कार्रवाई करना हर सरकार की जिम्मेदारी रहती है, और बहुत से मामलों में जब सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो अदालतें दखल देती हैं। मध्यप्रदेश के ही इस हनीट्रैप मामले में हाईकोर्ट को एक से अधिक बार यह कहना पड़ा कि राज्य सरकार बार-बार जांच अफसर क्यों बदल रही है? राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, सामने आए हुए हर संदिग्ध मामले की जांच तो होनी ही चाहिए। हम पहले भी यह बात लिख चुके हैं कि जब किसी प्रदेश में किसी पार्टी की सत्ता बदलती है, तो विपक्ष से सत्ता पर आने वाली पार्टी के बीते बरसों में लगाए गए अनगिनत ऐसे आरोप रहते हैं जिनमें सत्ता के भ्रष्टाचार को उठाया गया था। सत्ता पर आने के बाद यह उस पार्टी की भी जिम्मेदारी रहती है कि वह अपनी ही उठाई गई बातों को सही साबित करे, और अपने लगाए आरोपों की जांच भी करे। अभी मध्यप्रदेश के हनीट्रैप मामले से सत्ता के इतने लोग जुड़े हुए थे कि जिस-जिस वीडियो में जो तथ्य सामने आए, उन तमाम लोगों की कड़ाई से जांच करनी चाहिए क्योंकि सत्ता किसी पार्टी का घरेलू सामान नहीं होती है, वह देश की व्यवस्था रहती है, और उसके बेजा इस्तेमाल पर सजा मिलनी ही चाहिए। 
[दैनिक 'छत्तीसगढ़' का संपादकीय]
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