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[TODAY छत्तीसगढ़] / आज देवउठनी एकादशी बड़ी ही आस्था के साथ मनाई गई। आज के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। घर-घर में गन्ने का मंडप सजाया गया, पूरे विधि-विधान के साथ तुलसी जी का विवाह किया गया। रंगोली बनाई गई, दीपों से घर-आँगन सजाया गया और आतिशबाजी के जरिये आस्था के इस ख़ास मौके पर खुशियां मनाई गईं। कुछ लोग तुलसी विवाह द्वादशी के दिन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की बेटी नहीं है, वह यदि इस दिन तुलसी विवाह करता है तो उसे कन्यादान करने का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन के साथ ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत भी हो जाती है। इस दिन विष्णु स्वरूप शालीग्राम और तुलसी की शादी करवाई जाती है।
बिलासपुर शहर में कल से ही देवउठनी एकादशी की रौनक बाज़ार में दिखाई पड़ने लगी थी। जगह-जगह पूजा सामग्री के अलावा गन्ने से सजा बाज़ार देखने लायक था। आज के दिन गन्ने का विशेष महत्व है क्यूंकि तुलसी विवाह के लिए गन्ने का ही मंडप बनया जाता है। शहर में देवउठनी एकादशी पर जहां गन्ने का मंडप सजाकर तुलसी जी का विवाह हुआ वहीँ ग्रामीण अंचल में गौमाता के गले में मोर पंख लगी सोहाई बांधकर पूजा की गयी।  आज से ही शहर से लेकर गाँव तक राउत नाच की शुरुवात हो गई।    
मान्यता और कथा  -
जलंधर नाम का एक पराक्रमी असुर था, जिसका विवाह वृंदा नाम की कन्या से हुआ. वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी और पतिव्रता थी। इसी कारण जलंधर अजेय हो गया. अपने अजेय होने पर जलंधर को अभिमान हो गया और वह स्वर्ग की कन्याओं को परेशान करने लगा। दुःखी होकर सभी देवता भगवान विष्णु की शरण में गए और जलंधर के आतंक को समाप्त करने की प्रार्थना करने लगे। भगवान विष्णु ने अपनी माया से जलंधर का रूप धारण कर लिया और छल से वृंदा के पतिव्रत धर्म को नष्ट कर दिया। इससे जलंधर की शक्ति क्षीण हो गई और वह युद्ध में मारा गया। जब वृंदा को भगवान विष्णु के छल का पता चला तो उसने भगवान विष्णु को पत्थर का बन जाने का शाप दे दिया। देवताओं की प्रार्थना पर वृंदा ने अपना शाप वापस ले लिया। लेकिन भगवान विष्णु वृंदा के साथ हुए छल के कारण लज्जित थे, अतः वृंदा के शाप को जीवित रखने के लिए उन्होंने अपना एक रूप पत्थर रूप में प्रकट किया जो शालिग्राम कहलाया।
भगवान विष्णु को दिया शाप वापस लेने के बाद वृंदा जलंधर के साथ सती हो गई. वृंदा के राख से तुलसी का पौधा निकला। वृंदा की मर्यादा और पवित्रता को बनाए रखने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप का विवाह तुलसी से कराया। इसी घटना को याद रखने के लिए प्रतिवर्ष कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देव प्रबोधनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ कराया जाता है।
शालिग्राम पत्थर गंडकी नदी से प्राप्त होता है। भगवान विष्णु ने वृंदा से कहा कि तुम अगले जन्म में तुलसी के रूप में प्रकट होगी और लक्ष्मी से भी अधिक मेरी प्रिय रहोगी. तुम्हारा स्थान मेरे शीश पर होगा। मैं तुम्हारे बिना भोजन ग्रहण नहीं करूंगा। यही कारण है कि भगवान विष्णु के प्रसाद में तुलसी अवश्य रखा जाता है। बिना तुलसी के अर्पित किया गया प्रसाद भगवान विष्णु स्वीकार नहीं करते हैं। 

[TODAY छत्तीसगढ़] / छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण अभियान के तहत पक्षियों को बचाने की गुहार लगाता एक ऐसा वन्यजीव, पक्षी और पर्यावरण प्रेमी जो अपने खून पसीने की कमाई का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ जागरूकता फैलाने में खर्च करता है। अरुण प्रसाद, वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के क्षेत्र में ये नाम आज किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है।  देश के अलावा दूसरे देशों में जाकर वन्य जीवन की फोटोग्राफी का जूनून अरुण प्रसाद को अन्य छायाकारों से अलग बनाता है क्यूंकि अरुण ना सिर्फ फोटोग्राफी करते हैं बल्कि वन्यजीवन-पक्षी और पर्यावरण को बचाने का सन्देश भी देते हैं। 
छत्तीसगढ़ की इस्पात नगरी भिलाई के खुरदापुरी स्कुल में पिछले दिनों एक फोटो प्रदर्शनी के माध्यम से अरुण प्रसाद ने बच्चों को ना सिर्फ पशु-पक्षियों के विषय में जानकारियां दीं बल्कि उनके संरक्षण की अपील भी की। उन्होंने बच्चों को छत्तीसगढ़ में पाए जाने वाले पशु-पक्षियों के  बारे में विस्तार से बताया। खासकर छत्तीसगढ़ के किस अंचल में कौन-कौन से पक्षी पाए जाते हैं, कौन से पक्षी विलुप्त हो गए और कौन से पक्षी संरक्षण के अभाव में विलुप्ति की कगार पर हैं। 
छत्तीसगढ़ में लगातार बिगड़ते पर्यावरण के प्रति चिंतित अरुण बताते हैं की समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाली पीढ़ी पक्षियों को किताबों के माधयम से ही देख सकेगी। उन्होंने राज्य में पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूकता की कमी का हवाला देते हुए कहा की अभी भी वक्त है थोड़े प्रयास और सावधानी से विलुप्त होते पक्षी बचाये जा सकते हैं। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और पशु-पक्षियों के लिए जागरूकता की अलख जगाये रखने का भरोसा दिलाते हुए कहा उन्हें पूरा विश्वास है ये कोशिश एक दिन फिर से राज्य के अलग-अलग हिस्सों में पक्षियों के कलरव  और वन्य जीवों के शोर से गुलज़ार नज़र आएगी। इस भरोसे के पीछे उनका अपना आत्मविश्वास है क्यूंकि इस काम में उन्हें किसी तरह के सरकारी फंड या सहयोग की दरकार महसूस नहीं होती। स्वयं के खर्च पर पर्यावरण और पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए जलती लौ एक दिन रौशनी जरूर लाएगी।
इतिहास के पन्‍नों में दर्ज है आज के दिन कई घटनाएं .
1824 - रुस के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में बाढ़ से दस हजार लोगों की मौत।
1895 - फ्रेडरिक ई ब्लेसडेल ने पेंसिल का पेंटेट कराया।
1933 - यूरोपीय देश स्पेन में महिलाओं को मताधिकार का अधिकार मिला।
1951 - अमेरिका ने नेवादा में परमाणु परीक्षण किया।
1952 - स्पेन यूनेस्को का सदस्य बना।
1982 - नौवें एशियाई खेल दिल्ली में शुरु।
1986 - पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ।
1977 - मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादात की ऐतिहासिक इजरायल यात्रा।
1994 - भारत की ऐश्वर्या राय मिस वर्ल्ड चुनी गईं।
1995 - कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में विश्व कीर्तिमान बनाया।
1997 - कल्पना चावला अंतरिक्ष जाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
1998 - भारत समेत विश्व के कई देशों में लाखों लोग आकाश को देखते हुए निराश हुए, केवल जापान एवं थाईलैंड से निवासी ही दिवाली (उल्का पिंडों का पृथ्वी के वातावरण से टकराकर जलने का नज़ारा) मना सके, कैंब्रिज स्थित इंटरनेशनल बायोग्राफ़िकल सेंटर ने भरनाट्यम की प्रख्यात नृत्यांगना कोमला वर्धन को वर्ष 1998 का 'वूमेन आफ़ दी इयर' पुरस्कार के लिए चुना।
2000 - पाकिस्तान की एक अदालत द्वारा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की माँ नुसरल भुट्टो को 2 वर्ष के कठिन कारावास की सज़ा।
2002 - आस्कर पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता जेक्स कोबर्न का लास एंजिल्स में निधन।
2005 - पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ़ ने भारत को भूकम्प पीड़ितों के हित में कश्मीर समस्या सुलझाने का सुझाव दिया।
2006 - भारत ने परमाणु ऊर्जा और यूरेनियम सप्लाई के लिए आस्ट्रेलिया का समर्थन मांगा।
2007 - अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिण पश्चिम प्रान्त निमरोज में हुए आत्मघाती हमले में गवर्नर के बेटे समेत सात लोग मारे गए।
2008 - संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के प्रमुख मो. अलबरदेई को वर्ष 2008 के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड देने की घोषणा की गई।
2013 - लेबनान की राजधानी बेरुत में ईरानी दूतावास के समीप हुये दोहरे आत्मघाती बम धमाके में 23 लोगों की मौत, 160 अन्य घायल।
1835 - रानी लक्ष्मीबाई - 1857 के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना रानी।
1838 - केशव चन्द्र सेन - एक प्रसिद्ध धार्मिक व सामाजिक सुधारक, जो 'ब्रह्म समाज' के संस्थापकों में से एक थे।
1917 - इन्दिरा गांधी, भारत की चौथी प्रधानमंत्री।
1923 - सलिल चौधरी - हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध भारतीय संगीतकार।
1924 - विवेकी राय - हिन्दी और भोजपुरी भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
1928 - दारा सिंह, विश्व प्रसिद्ध पहलवान और हिन्दी फ़िल्मों के अभिनेता।
1951 - ज़ीनत अमान, हिन्दी फ़िल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री।
1975 -सुष्मिता सेन- भारत की प्रथम मिस यूनिवर्स और प्रसिद्ध अभिनेत्री
1918 - देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय - भारत के प्रसिद्ध इतिहासकार थे।
1875 - रामकृष्ण देवदत्त भांडारकर - जाने-माने एक प्रसिद्ध पुरातत्त्वविद थे।
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