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सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश में जितेंद्र यादव को कांकेर जिले में भानुप्रतापपुर का SDM बनाया गया है। जितेंद्र अभी दुर्ग में प्रशिक्षु सहायक कलेक्टर थे। बिलासपुर में प्रशिक्षु सहायक कलेक्टर रहे ललितादित्य नीलम को राजनांदगांव के मोहला का SDM बनाकर भेजा जा रहा है। इसी आदेश से रेना जमील को रायगढ़ के सारंगढ का SDM बनाया गया है। रेना अभी तक बस्तर में प्रशिक्षु सहायक कलेक्टर के तौर पर काम कर रही थीं। सरगुजा में प्रशिक्षु कलेक्टर रहे विश्वदीप को गरियाबंद का SDM बनाकर भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि नए अधिकारी जल्दी ही अपनी नई जिम्मेदारी संभाल लेंगे।
केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय ने अक्टूबर 2019 में IAS अफसरों का कैडर अलॉट किया था। इसमें पांच अफसर छत्तीसगढ़ को मिले थे। उस बैच से छत्तीसगढ़ के दो अफसरों से केवल नम्रता जैन को होम कैडर मिल पाया था। छत्तीसगढ़ कैडर में आए शेष अफसरों में से जीतेंद्र यादव हरियाणा से हैं। ललितादित्य नीलम तेलंगाना से, विश्वदीप उत्तर प्रदेश से और रेना जमील झारखंड मूल से हैं।
नम्रता जैन ने एक समाचार एजेंसी को दिए इंटरव्यू में कहा था, 'मैं हमेशा से कलेक्टर बनना चाहती थी। जब मैं आठवीं कक्षा में थी, एक महिला अधिकारी मेरे स्कूल आई थी। बाद में मुझे पता चला कि वह कलेक्टर थी। मैं उनसे काफी प्रभावित हुई। उसी वक्त मैंने तय कर लिया था कि मैं भी कलेक्टर बनूंगी।'
साल 2018 की टॉपर नम्रता जैन की सफलता की कहानी काफी प्रेरणादायक है. पहले प्रयास में प्री परीक्षा भी पास न कर पाने वाली नम्रता दूसरे और तीसरे प्रयास में तीनों स्टेजेस पार करती हुई टॉपर बनीं. सेकेंड अटेम्प्ट में नम्रता की 99वीं रैंक आयी थी जिससे उन्हें आईपीएस सेवा एलॉट हुई थी. लेकिन नम्रता को आईएएस ही बनना था इसलिए उन्होंने फिर से अटेम्प्ट दिया और इस बार सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए नम्रता ने 12वीं रैंक हासिल की, जिससे उनका आईएएस बनना सुनिश्चित हुआ.
नम्रता की शुरुआती शिक्षा -
नम्रता की शुरुआती शिक्षा बस्तर, दंतेवाड़ा में ही हुयी. यहां से उन्होंने क्लास दस तक पढ़ाई की. इसके बाद वे भिलाई चली गयीं और ग्यारहवीं एवं बारहवीं वहां से की. 12वीं के बाद उन्होंने अपना ग्रेजुएशन भिलाई इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, से पूरा किया. इंजीनियरिंग के तुरंत बाद नम्रता ने यूपीएससी सीएसई परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. उन्होंने परीक्षा के साथ कोई दूसरा काम नहीं किया. नम्रता का मानना है कि अगर कोई मजबूरी न हो तो यूपीएससी परीक्षा के साथ कुछ और न करें जैसे जॉब या पढ़ाई. उनके हिसाब से यह परीक्षा पूरा समर्पण मांगती है, तभी तैयारी ठीक प्रकार से हो पाती है और सफलता हासिल होती है.
नम्रता का यूपीएससी सफर -
अगर नम्रता के यूपीएससी सफर की बात करें तो उन्होंने अपना पहला अटेम्प्ट 2015 में दिया था पर इस समय उनका प्री में भी चयन नहीं हुआ था. लेकिन नम्रता बहुत निराश होने के बजाय फेलियर के कारण जानने और उन पर काम करने में विश्वास रखती हैं. उन्होंने किया भी यही, अपनी गलतियों से सीख ली और दोबारा साल 2016 में परीक्षा दी. इस साल नम्रता का सेलेक्शन हो गया और उन्हें 99वीं रैंक मिली. इस स्टेज पर भी वे दंतेवाड़ा से चयनित होने वाली पहली कैंडिडेट थी. नम्रता को रैंक के अनुसार आईपीएस सर्विस मिली और वे सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी, हैराबाद में ट्रेनिंग करने लगीं. इस दौरान उन्होंने तैयारी बंद नहीं की.