प्रदेश के बहुत ताकतवर गृहमंत्री विजय शर्मा उपमुख्यमंत्री भी हैं, उनका अपना गृहजिला कवर्धा पिछले महीने भर में जितने किस्म की हिंसक अराजकता देख चुका है, वैसा शायद ही कभी उस जिले में, या किसी एक जिले में हुआ हो। अभी कुछ महीनों के भीतर छत्तीसगढ़ के एक दूसरे जिले, बलौदाबाजार-भाटापारा में जिस तरह सतनामी समाज के एक प्रदर्शन के बाद वहां के कलेक्टर और एसपी के दफ्तरों को जलाया गया, वैसा भी देश में कभी किसी और जगह पर नहीं हुआ था। इन बड़ी घटनाओं के बीच, और आगे-पीछे छत्तीसगढ़ में हिंसक और जानलेवा जुर्म, बलात्कार और गैंगरेप जैसे मामले इस हद तक बढ़े हुए दिख रहे हैं कि जैसा पहले कभी नहीं हुआ था। जादू-टोने की तोहमत लगाकर लोगों को थोक में मार डालने के मामले हो रहे हैं, और पशु व्यापारियों को गाय तस्कर बताकर खुलेआम मार डाला जा रहा है, और पुलिस ऐसे मामले को हल्का बनाने में जुटी हुई दिखती है। यह भी पहली बार ही हुआ है कि त्यौहारों पर जब पुलिस को अधिक चौकस रहना चाहिए, उसे कांवडिय़ों की आरती उतारने, और उन पर फूल बरसाने का हुक्म दिया गया, और फिर इस भक्तिभाव के वीडियो बनाकर उसे पुलिस के सबसे महान काम की तरह प्रचारित किया गया।
अचानक ही पूरे प्रदेश में जिस तरह बड़े पैमाने पर चाकूबाजी की वारदातें हो रही हैं, तरह-तरह के गैंगवॉर हो रहे हैं, उससे भी आम जनता दहशत में है। हालत यह है कि हर किस्म के हिंसक जुर्म में अब नाबालिग भी शामिल मिल रहे हैं, इससे लगता है कि मुजरिम बनने की औसत उम्र अब घटती चली जा रही है, और लोग बालिग बाद में बनते हैं, संगीन जुर्म पहले करते हैं। महिलाओं, नाबालिग बच्चियों, और छोटे बच्चों के खिलाफ, बूढ़े मां-बाप के खिलाफ हिंसक और जानलेवा जुर्म अंधाधुंध हो रहे हैं। हम यह तो नहीं कहते कि हर किस्म की निजी हिंसा पुलिस के रोकने लायक रहती है, लेकिन जिस तरह प्रदेश में सरकारी नशे के कारोबार के अलावा अवैध शराब, गैरकानूनी गांजा, और बहुत खतरनाक गैरकानूनी दूसरा सूखा नशा बढ़ते चल रहा है, उससे भी निजी हिंसा बढ़ती जा रही है।
राज्य के बड़े शहरों में करोड़पति कारोबारियों के जो महंगे ठिकाने तकरीबन पूरी रात गैरकानूनी धंधा करते हुए नशा बेच रहे हैं, वह पुलिस की भागीदारी के बिना तो मुमकिन नहीं दिखता। दूसरी तरफ कबाड़ के जैसे कारोबार से मिली आर्थिक और राजनीतिक ताकत से कल सूरजपुर में जो अभूतपूर्व और असाधारण हिंसा हुई है, वैसा कारोबार भी पुलिस की भागीदारी के बिना नहीं चल सकता। इस प्रदेश में महादेव ऑनलाईन सट्टे का जो रिकॉर्डतोड़ आकार का माफिया साम्राज्य चल रहा था, उसमें भी प्रदेश के दर्जनों नेताओं, और अफसरों के करोड़पति और अरबपति बनने की चर्चा है। कोयले के कानूनी धंधे पर एक गैरकानूनी रंगदारी टैक्स, शराब का पूरी तरह से अवैध कारोबार, और कई दूसरे किस्म के माफिया अंदाज के काम, इन सबने छत्तीसगढ़ को देश का एक सबसे बड़ा मुजरिम और भ्रष्ट राज्य बनाकर रख दिया है। जुर्म के धंधे में कमाई इतनी बड़ी है कि उसकी हिस्सेदारी बड़े-बड़े नेताओं, और अफसरों की नीयत खराब कर देती है। आज जब हम यह बात लिख रहे हैं, उसी वक्त छत्तीसगढ़ में कई जगहों पर रेत की अवैध खुदाई का संगठित माफिया काम कर रहा है, और करोड़ों की मशीनों और गाडिय़ों को जोतकर चलने वाला यह धंधा नेताओं और अफसरों से सेटिंग के बिना चलना मुमकिन नहीं रहता।
लेकिन इन तमाम बातों के बीच भी सूरजपुर की कल की घटना एक बहुत बड़े माफिया अंदाज की हिंसा है जो कि पुलिस की पूरी ताकत को एक चुनौती है, और पुलिस के बेकसूर परिवार के साथ सबसे भयानक दर्जे की हिंसा है। आधी-पौन सदी पहले इटली और अमरीका में माफिया की जो खबरें बाहर आती थीं, उनमें ऐसा होता था कि अदालत में मुजरिम को सजा दिलाने की कोशिश कर रहे सरकारी वकील, या जांच कर रहे पुलिस अफसर, या गवाह के परिवार का ऐसा कत्ल किया जाए। लेकिन हिन्दुस्तान में ऐसी दूसरी घटना याद नहीं पड़ती कि एक पुलिस कर्मचारी के ड्यूटी करने से खफा होकर एक संगठित अपराधी उसके परिवार को इतने वीभत्स और हिंसक तरीके से मार डाले। फिलहाल तो यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि जिस पर इन हत्याओं का शक है, और जो फरार है, वह कांग्रेस के छात्र संगठन से जुड़ा हुआ है या नहीं। अभी तो सबसे जरूरी यह है कि इसे जल्दी से जल्दी पकड़ा जाए, और कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाए। राज्य सरकार को, और खासकर पुलिस महकमे को यह देखना चाहिए कि किस तरह प्रदेश के पुलिस परिवारों के एक संगठन के संयोजक उज्जवल दीवान ने एक वीडियो बनाकर यह घोषणा की है पुलिस-परिवार का कत्ल करने वाले को पकडऩे वाले को 50 हजार रूपए नगद, और अगर उसे मुठभेड़ में मारा जाता है तो उस पर एक लाख रूपए नगद ईनाम संगठन देगा। यह राज्य सरकार के लिए आत्ममंथन का एक बड़ा मौका है कि कार्यकाल का एक साल पूरा होने के पहले ही पूरे प्रदेश में कानून-व्यवस्था जिस तरह खत्म हो जाने का अहसास प्रदेश के लोगों को हो रहा है, उसमें सरकार की कैसे सुधार की जिम्मेदारी बनती है। इसी सूरजपुर से एक दूसरी खबर आई है कि एक स्कूली छात्रा के साथ गैंगरेप की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं की जा रही थी, और सरगुजा के सबसे बड़े कांग्रेस नेता, और पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव की दखल के बाद दो दिन बाद रिपोर्ट दर्ज की गई। अगर यह नौबत सचमुच है, तो सरकार को बाकी तमाम काम छोडक़र प्रदेश में कानून-व्यवस्था पर लंबा विचार करना चाहिए।